हमारा काम है अस्पताल में अनजान चेहरों से मिलकर उन्हें 'कनविंस' करना. इस बात पर कि वो 'लगभग' मर चुके अपने सबसे अजीज शख्स का अंगदान कर दें. लोग रोना भूलकर गुस्से में गालियां देने लगते हैं. मारने दौड़ पड़ते हैं. पढ़िए, सूरत में ऑर्गन डोनेशन संस्था से जुड़े शख्स निलेश मांडलेवाला की कहानी...
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