Jeevan Samvad: जिस तरह निजी कर्जदाता ऊंची दरों पर ब्याज देते हैं, कर्जदार पूरी उम्र ब्याज ही देता रहता है. उसके बाद भी कर्ज़ नहीं उतरता. मन पर बोझ की दशा भी ऐसी ही है! अगर समय पर इससे मुक्ति न मिले तो ब्याज के साथ मूल भी बकाया रहता है.
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