70 बरस के अब्दुल्लाह देश का झंडा तैयार करते हैं. इस काम में तकरीबन 50 साल खर्च चुके बड़े मियां कहते हैं- मेरे ज्यादातर दोस्त गैरमजहब से हैं. पेशे में जब भी बड़ा घाटा हुआ, उन्होंने अपने कंधे जोड़कर भरा. अब माहौल में अजब-सी बू है. बम फटे या रसोई में दावत पके- लोग शक की निगाह से देखते हैं.
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