पर्यावरण दिवस विशेष: गौरैया से लेकर गिलहरी तक... सोचा है हमारे देखते-देखते कितनी चीजें गायब हो गई
आंगन में चहकती गौरैया याद आती है. अब शायद आंगन खाली दिखते होंगे. यहां तक कि बचपन में मुंडेर पर बैठे जिस कौवे की कर्कश आवाज परेशान करती थी, वो आवाज भी अब कम ही सुनाई देती है.
from Latest News देश News18 हिंदी http://bit.ly/2XpHFix
via IFTTT
No comments:
Post a Comment