विश्वविख्यात फ्रैंच लेखिका 'सीमोन द बोउवार' की विश्वचर्चित किताब द सेकंड सेक्स (The Second Sex) में सीमोन महिलाओं की बराबरी की बात करती हैं. ये किताब मानव समाज को एक क्रांतिकारी दिशा देती है, साथ ही 'औरत होना किसे कहते हैं' इस बात पर भी प्रकाश डालती है. पूरी किताब ढेर सारे अनुभवों और घटनाक्रमों से गुज़रते हुए लिखी गई है, जिसे अलग-अलग खंडों में विभाजित किया गया है. दुनिया भर में महिलाओं की स्थिति को यदि बहुत करीब से देखना, जानना और समझना है, तो इस किताब को ज़रूर पढ़ना चाहिए. वर्षों पहले लिखी गई ये किताब आज भी कई मायनों में सार्थक साबित होती है. किताब ने महिलाओं से जुड़े हर पक्ष को पकड़ा है. सीमोन इस किताब के माध्यम से प्लेटो पर भी प्रहार करती हैं. सीमोन का कहना है, कि महिलाओं और पुरुषों के बीच जो जैविक अंतर है, उसके आधार पर महिलाओं को दबाना बहुत ही अन्यायपूर्ण है और अनैतिक भी. ये किताब यूरोप के उन सामाजिक, राजनैतिक, व धार्मिक नियमों को चुनौती देती है, जो नारी अस्तित्व और उसकी प्रगति में हमेशा से बाधक रहे हैं. सीमोन द बोउवार की इस विश्वप्रसिद्ध किताब का हिंदी रूपांतरण 'डॉ प्रभा खेतान' ने किया, जिसे नाम दिया गया 'स्त्री उपेक्षिता' और किताब का प्रकाशन किया 'हिंदी पॉकेट बुक्स' ने. गौरतलब है, कि डॉ. प्रभा, 'खेतान फाउन्डेशन' की संस्थापक अध्यक्षा और नारी विषयक कार्यों में सक्रिय रूप से भागीदार रहीं, साथ ही उन्होंने फिगरेट नामक महिला स्वास्थ्य केन्द्र की भी स्थापना की. डॉ. प्रभा हिन्दी भाषा की प्रतिष्ठित उपन्यासकार, कवयित्री, नारीवादी चिंतक और समाज सेविका थीं, जिन्हें कलकत्ता चैंबर ऑफ कॉमर्स की एकमात्र महिला अध्यक्ष होने का गौरव प्राप्त हुआ. वे केन्द्रीय हिन्दी संस्थान की सदस्या भी बनीं. हिंदी साहित्य में उनका योगदान अविस्मरणीय है. नारीवाद (feminism) को बहुत करीब से और गहराई से समझना है, तो 'स्त्री : उपेक्षिता' संपूर्ण और एक बेहतरीन किताब है. इस किताब को पढ़ने के बाद नारीवाद को समझने के लिए कुछ और पढ़ने की ज़रूरत महसूस नहीं होगी…
from Latest News देश News18 हिंदी https://ift.tt/1kiM7BA
via IFTTT
No comments:
Post a Comment